“मालविका जी नायर: डिलीवरी के 17 दिन बाद UPSC मेन्स दी, 45वीं रैंक लाकर बनीं IAS”

डिलीवरी के 17 दिन बाद UPSC मेन्स देकर बनीं IAS – मालविका जी नायर ने हासिल की 45वीं रैंक

डिलीवरी के 17 दिन बाद UPSC मेन्स देकर बनीं IAS – मालविका जी नायर ने हासिल की 45वीं रैंक

📅 27 जून 2025 | लेखक: Arjun Kumar

यह प्रेरणादायक कहानी उन सभी लोगों के लिए उम्मीद जगाती है जो कठिन परिस्थितियों के बीच भी अपने सपनों को पाने का हौसला रखते हैं। UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 में 45वीं रैंक हासिल करने वाली मालविका जी नायर ने डिलीवरी के सिर्फ 17 दिन बाद मेन्स परीक्षा दी और देश की सर्वोच्च सेवा में अपनी जगह बनाई।

डॉक्टरी सलाह को भी टाला

डिलीवरी के तुरंत बाद डॉक्टरों ने आराम करने की सलाह दी थी। लेकिन मालविका ने मन बना लिया था — वह परीक्षा देंगी! परिवार का मतबलानी समर्थन, बच्चे की देखभाल और परीक्षा की तैयारी—इन सब के बीच उन्होंने अपना आत्मविश्वास नहीं खोया।

तैयारी का सफर – मां और अफसर बनने की राह

  • गर्भावस्था के समय ही उन्होंने तैयारी की रूपरेखा तय कर ली थी।
  • नोट्स को मोबाइल अनुकूल रखा ताकि कहीं भी पढ़ सकें।
  • ऑनलाइन टेस्ट सीरीज़, मॉक टेस्ट और NCERT सामग्री से नियमित अभ्यास जारी रखा।
  • समय प्रबंधन और मानसिक संतुलन उनके सबसे बड़े साथी रहे।

इंटरव्यू में छाई उनका आत्मबल

UPSC इंटरव्यू में जब मालविका ने अपने 17 दिन पहले डिलीवरी देने की बात बताई, तो पैनल हैरान रह गया। उनका आत्मविश्वास, स्पष्टता और निर्णय क्षमता ने सभी का दिल जीत लिया।

माँ होने का संदेश

समाज में आज भी मातृत्व को करियर की राह में बाधा की तरह देखा जाता है, लेकिन मालविका की इस उपलब्धि ने साबित कर दिया है – “माँ बनना कमजोरी नहीं, बल्कि शक्ति है।” वह एक अच्छी मां भी हैं और अब देश की सेवा करने वाली IAS अफसर भी बन चुकी हैं।

मालविका जी नायर कहती हैं: “अगर आपके अंदर जुनून है, तो कोई भी परिस्थिति आपको नहीं रोक सकती। हर महिला में वह शक्ति होती है जो उसे किसी भी मुकाम तक पहुँचा सकती है।”

प्रेरणा – दूसरों के लिए संदेश

उनकी यह कहानी उन लाखों UPSC उम्मीदवारों के लिए मिसाल है जो मुश्किल हालात में हार मान लेते हैं। यह साबित करती है कि सफलता सिर्फ किताबों से नहीं, बल्कि जज्बे, समर्पण और आत्मबल से मिलती है।

निष्कर्ष:

UPSC जैसी चुनौतीपूर्ण परीक्षा को मातृत्व की जिम्मेदारी के साथ पास करना एक अद्वितीय उपलब्धि है। मालविका जी नायर ने साबित कर दिया कि कोई भी सपना इतना बड़ा नहीं कि उसे हासिल न किया जा सके। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी समाज में बदलाव लाएगी और नौजवानों में नई उम्मीद जगाएगी।


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