पुरी में तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचे: 9 दिन मौसी के यहां ठहरेंगे भगवान, 10 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

पुरी में तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचे: 9 दिन मौसी के यहां ठहरेंगे भगवान

पुरी में तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचे: 9 दिन मौसी के यहां ठहरेंगे भगवान

पुरी, ओडिशा: भक्ति और उल्लास के महापर्व रथ यात्रा 2025 के दूसरे दिन पुरी में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ आखिरकार गुंडिचा मंदिर (मौसी घर) पहुंच गए। लाखों श्रद्धालुओं के जयघोष और मंत्रोच्चार के बीच ये ऐतिहासिक पल बेहद भावनात्मक और दिव्य रहा।

10 लाख से अधिक भक्तों ने किए दर्शन

इस वर्ष की रथ यात्रा में लगभग 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दो दिनों के भीतर भगवान के दर्शन किए। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए थे। पुरी में चारों ओर हरि नाम संकीर्तन और “जय जगन्नाथ” के गूंजते स्वर वातावरण को भक्तिमय बना रहे थे।

क्यों जाते हैं भगवान गुंडिचा मंदिर?

यह परंपरा वर्षों पुरानी है। भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के साथ हर वर्ष अपने ननिहाल यानी गुंडिचा मंदिर जाते हैं और वहां 9 दिनबहुड़ा यात्रा कहा जाता है।

तीनों रथों के नाम क्या हैं?

  • नंदीघोष – भगवान जगन्नाथ का रथ
  • तालध्वज – बलभद्र का रथ
  • दर्पदलन – सुभद्रा का रथ

रथ यात्रा की विशेषताएं

  • तीनों रथों को भक्तों द्वारा खींचा जाता है, जिसे ‘रथ खींचना’ कहा जाता है और इसे अत्यंत पुण्य का कार्य माना जाता है।
  • देश-विदेश से श्रद्धालु इस पर्व में शामिल होते हैं।
  • पूरी रथ यात्रा दो भागों में होती है: पहले गुंडिचा मंदिर जाना और फिर वापसी यात्रा (बहुड़ा यात्रा)।

सुरक्षा और इंतजाम

10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुरी में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए। पुलिस, होमगार्ड, और NDRF की टीमें तैनात रहीं। साथ ही मेडिकल सहायता और पानी की भी सुविधा जगह-जगह उपलब्ध कराई गई।

Uttam News की श्रद्धांजलि

**Uttam News** की ओर से भगवान जगन्नाथ के चरणों में कोटि-कोटि नमन। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और एकता का जीवंत उदाहरण भी है।


लेखक: Jn Arjun Yadav | स्रोत: Jagannath Temple Committee, Odisha Govt Updates

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